चेन्नई, 16 सितंबर : भाषा: विश्वनाथन आनंद फीडे रैंकिंग में काबिज दुनिया के शीर्ष 10 खिलाड़ियों में दूसरे सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं लेकिन मौजूदा विश्व शतरंज चैम्पियन ने संन्यास लेने की किसी योजना से साफ़ तौर पर इनकार किया। आनंद 42 वर्ष के हैं और इस साल मई में मास्को में बोरिस गेलफैंड के खिलाफ हाल में विश्व चैम्पियनशिप समेत पांच बार यह खिताब अपने नाम कर चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से अभी संन्यास के बारे में कोई विचार नहीं आया है। ’’ आनंद ने यहां प्रेट्र को दिये साक्षात्कार में संकेत दिया कि वह 2014 में भी अपना खिताब बरकरार रखना चाहते हैं, उन्होंने कहा, ‘‘बल्कि मैं संन्यास के उलट सोच रहा हूं।’’ हालांकि आनंद मौजूदा विश्व चैम्पियन हैं, लेकिन नार्वे के मैग्नस कार्लसन फीडे द्वारा मौजूदा विश्व रेटिंग में शीर्ष पर हैं और वह उम्र में आनंद की उम्र से आधे 21 वर्ष के हैं। केवल यूक्रेन के वासिले इवानचुक ही आनंद से थोड़े बड़े हैं जो विश्व रैंकिंग में इस समय नौंवे स्थान पर हैं। संन्यास की बात खारिज करते हुए आनंद ने पूछा, ‘‘मैं कैसे अलविदा कह सकता हूं?’’ आनंद पिछले दो दशक से शतरंज खेल रहे हैं और इस दौरान उन्होंने कई कड़े प्रतिद्वंद्वियों को पराजित किया है लेकिन भारत का महान शतरंज खिलाड़ी इस्राइल के बोरिस गेलफैंड को सभी वर्गों में सबसे मुश्किल प्रतिद्वंद्वी मानता है। उन्होंने कहा, ‘‘एक तरह से मैं इस्राइल के बोरिस गेलफैंड को अपना सबसे कठिन प्रतिद्वंद्वी मानता हूं। वह काफी पेशेवर और अनुशासित शतरंज खिलाड़ी है। विश्व चैम्पियनशिप में गेलफैंड भी खिताब जीतने का उतना ही हकदार था, जितना मैं। लेकिन यह चैम्पियनशिप अब तक मेरी सबसे बड़ी परीक्षा रही है। ’’ आनंद 1988 में ग्रैंडमास्टर बने थे और उनसे शीर्ष पर इतने लंबे दिन तक बरकरार रहने के राज के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि सीखने की इच्छा ही उन्हें यहां तक लेकर आयी है। आनंद ने कहा, ‘‘यह एक राज है, मैं सिर्फ यही कहूंगा कि यह शतरंज का खेल खेलते रहना ही लंबे समय तक बरकरार रहने का राज है। मैं गेम में नयी चीजें सीखता रहता हूं और अब तक चुनौतियों का सामना कर रहा हूं।’’