. एनी सैमसन:
नयी दिल्ली;25 सितंबर :भाषा: हाल ही में अपने खास मल्टीमीडिया संगीत समारोह के साथ देशभर की यात्रा करने वाले पुरस्कार प्राप्त लेखक अमित चौधरी के दिमाग में गानों और संगीत के साथ प्रयोग के ख्याल हमेशा चलते रहते हैं।
‘ए मूमेंट ऑफ मिसहियरिंग’ नामक यह समारोह फिल्म और ऑडियो का सम्मिश्रण है।इसके जरिए बताया गया है कि किस तरह चौधरी ने पश्चिमी धुनों के बीच शास्त्रीय हिंदुस्तानी संगीत को सुनना शुरू कर दिया और फिर किस तरह उन्होंने रिकॉर्डिंग और कलाकार के तौर पर एक पूर्णकालिक पेशा अपना लिया।
चौधरी ने प्रेस ट्रस्ट को बताया, ‘‘मैंने यह विचार अपना लिया। आज से लंबे समय पहले तक मैं गंभीर संगीतकार था और मुझे समारोह दिए जाने लगे थे। बहुत से लोग जानना चाहते थे कि यह शुरू किस तरह हुआ। मैंने सोचा कि क्यों न एक किस्सागोई को भी इसमें शामिल कर लिया जाए ताकि मैं लोगों को कहानी कह सकूं और अपने अनुभवों को मल्टीमीडिया प्रोजेक्ट में बदल सकूं।’’इस लेखक-संगीतकार ने हाल ही में प्रकृति फाउंडेशन द्वारा दिल्ली में आयोजित द पार्क्स न्यू फेस्टिवल में भाग लिया। यह समारोह दिल्ली समेत कुल छह शहरों मे आयोजित किया गया था।
अपने लाइव कन्सर्ट में चौधरी दर्शकों को ऐसी कहानी कहते हैं जिसके साथ उन्हें दृश्य के साथ-साथ शब्दों और गीतों का साथ मिलता है।
चौधरी कहते हैं कि उन्हें कई बार ‘मिसहियरिंग’ का अनुभव हुआ है। एक बार उन्हें राग तोडी सुनते हुए अचानक लगा कि उन्होंने एरिक क्लेप्टन की ‘लाएला’ को सुना है। कुछ साल बाद कोलकाता के एक होटल में संतूर सुनते हुए उन्हें लगा कि उन्होंने स्कॉटिश गीत ‘एउल्द लांग साइने’ सुना है।
वे कहते हैं, ‘‘मुझे नहीं लगता कि ये ‘मिसहियरिंग’ यूं ही हो जाती है। आपको कहीं से भी और किसी भी तरह के संगीत से प्रेरणा मिल सकती है।यह प्रेरणा एक कार के हॉर्न से भी आ सकती है।’’’संपादकीय सहयोग-अतनु दास