पास पहुंचना चाहिये। राज्य अगर इसमें अड़चन खड़ी कर रहे हैं तो उनसे बात कीजिये। बजट में इसके लिये जितना आवंटन रखा गया है, उसे खर्च कीजिये। ग्रामीण स्तर पर आय बढ़ाने वाली छोटी परियोजनाओं को आगे बढ़ाना चाहिये। ऐसी परियोजनायें जिनमें स्थानीय ठेकेदार हों, स्थानीय लोगों को मजदूरी मिले और उनकी आय बढ़े। इस मामले में ग्रामीण सड़कों के निर्माण में तेजी लानी चाहिये। ग्रामीण आवासीय योजनाओं पर अमल हो। लघु सिंचाई योजनाओं को आगे बढ़ाया जाना चाहिये। छोटे एवं मझोले उद्योगों की समस्या दूर होनी चाहिये। ग्रामीण क्षेत्र में पूरा कृषि कारोबार नकद में होता रहा है। आज उनके पास नकदी की कमी है। व्यापारी के पास पैसा नहीं है, उनकी समस्या को समझा जाना चाहिये। नोटबंदी का असर बना हुआ है। जीएसटी रिफंड में देरी हो रही है। छोटे निर्यातकों को इसका खामियाजा झेलना पड़ रहा है।
प्रश्न : अगली तिमाही में आर्थिक वृद्वि दर कितनी रहेगी, पूरे वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्वि कहां तक पहुंचेगी? उत्तरः मेरा मानना है कि जुलाई सितंबर की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्वि दर में ज्यादा सुधार नहीं होगा और यह पांच प्रतिशत के आसपास ही रहेगी। जहां तक पूरे साल की आर्थिक वृद्वि की बात है तो यह भी 5.5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी।
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के असर के बारे में उन्होंने कहा कि इसका थोड़ा बहुत असर हो सकता है लेकिन पंचवर्षीय योजनाओं का उनका अनुभव बताता है कि देश की खुद की क्षमता इतनी है कि सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि हासिल की जा सकती है। लेकिन इसके लिये जरूरी है कि जो आर्थिक रूप से कमजोर तबका है, ग्रामीण भारत है वहां मांग बढ़नी चाहिये। अगर इस क्षेत्र की मांग बढ़ती है तो आर्थिक सुस्ती की नौबत नहीं आयेगी।