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डॉटर्स डे पर स्‍टेफ्री® ने किया आगाज़, “पीरियड के बारे में अपने बेटों से भी करें बात’’

Updated: 04/10/2022


मुंबई, महाराष्ट्र, भारत (NewsVoir)

आमतौर लड़कों को कहा जाता है कि पीरियड को नजरअंदाज करें और इससे उनका कोई लेना-देना नहीं, पर जब वे बड़े हो जाते हैं- और किसी के पति, पिता और दादा बनते हैं- तब उन्हें इसके बारे में बात करने में असहजता महसूस होती है। पीरियड को लेकर अभी भी शर्म जारी है। लड़कों को माहवारी को लेकर चर्चा में शामिल करने के संदेश के साथ, इस डॉटर्स डे पर स्टेफ्री® ने पेरेंट्स को प्रोत्साहित करने के लिये एक कैम्पेन लॉन्च किया है ताकि वे अपने बेटों से पीरियड के बारे में बात कर सकें - youtu.be/dw6Zch2ETPQ

 

समाज से जुड़ी हुई यह विचारोत्तेक फिल्म, 2020 और 2021 के स्टेफ्री®  के पुरस्कृत कैम्पेन- ‘इस्ट्स जस्ट ए पीरियड’ पर आधारित है। भारत में पीरियड को लेकर चर्चा को सामान्य बनाने के ब्रांड मिशन की बात की यह पुष्टि करता है। 


मनोज गाडगिल, वाइस प्रेसिडेंट- मार्केटिंग, जॉनसन एंड जॉनसन कंज्यूमर हेल्थ, इंडिया का कहना है, “स्टेफ्री®, पीरियड को लेकर बातचीत को सामान्य बनाकर ऐसी दुनिया बनाना चाहता है जहां लड़कियों को पीरियड के बारे में बात करने में कोई हिचक ना हो। #itsjustaperiod  कैम्पेन की शुरूआत दो साल पहले हुई थी। इस साल स्टेफ्री®, पेरेंट्स से निवेदन कर रहा है कि वह अपने बेटों से बात करे और उन्हें बताए कि यह सिर्फ पीरियड है। यदि लड़के इस चर्चा का हिस्सा होंगे तो हम सही मायने में एक पीरियड फ्रेंडली दुनिया बना सके। खुली चर्चा करने और बच्चे की जिज्ञासा को दूर करने से एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण हो सकेगा जोकि मासिक धर्म को लेकर सामाजिक शर्म से मुक्त होगा।”  


पुरुषों को पीढ़ियों से मासिक धर्म की बातचीत से दूर रखा गया है। वे पीरियड्स को एक महिला के रहस्य के रूप में सोचते हैं - अपनी भूमिका के बारे में अनिश्चित और खुद को अनुपलब्ध बनाने का विकल्प चुनते हैं क्योंकि वे नहीं जानते कि कैसे मदद की जाए। स्टेफ्री® लंबे समय से मासिक धर्म को सामान्य करने के सभी पहलुओं में शामिल रहा है। इन प्रयासों में शैक्षिक भागीदारी, मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के लिये सबसे बेहतर आदतों को बढ़ावा देना और इस विषय पर उन लोगों द्वारा खुली बातचीत को प्रोत्साहित करना शामिल है, जो उस लड़की के लिये सबसे ज्यादा मायने रखते हैं- यानी उसका परिवार। 


स्टेफ्री® की इस नई फिल्म का कॉन्सेप्ट डीडीबी मुद्रा ने तैयार किया है, इसका निर्देशन शोभा मोहापात्रा और इसका निर्माण कल्चर स्टूडियो की प्रियंका मिसरा ने किया है- इसका लक्ष्य पीरियड को लेकर शर्म और चुप्पी की उस कहानी को बदलना है। पल्लवी चक्रवत्ती, क्रिएटिव हेड- वेस्ट, डीडीबी मुद्रा का कहना है, “किस समय बच्चों को ऐसा लगता है कि पीरियड के बारे में धीमे स्वर में बात करनी चाहिए या बिलकुल ही बात नहीं करनी चाहिए? जब हम कहते हैं कि एक लड़की को अपने पीरियड के बारे में बात करने में शर्म आती है, तो क्या हमने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों है? या फिर रुककर कभी सोचा है कि वह किससे इस बात को छुपा रही है? ये कुछ सवाल हैं, जिनका हमने जवाब मांगा था, इसलिए हमने दूसरे साल भी ‘इस्ट्स जस्ट ए पीरियड’ का आइडिया लिया। स्टेफ्री® का हमेशा से यह मानना रहा है कि बातचीत को सामान्य बनाने में केवल समाज के एक वर्ग की नहीं बल्कि हर किसी की भागीदारी होती है- यही विश्वास थोड़ा और जानने के बाद और भी पुख्ता हो गया, और हमें कैम्पेन के दूसरे अध्याय में - ‘इस डॉटर्स डे पर अपने बेटों से बात करें’ में जाने की प्रेरणा मिली।” 


बात को आगे बढ़ाने के लिये, स्टेफ्री® ने एक माइक्रोसाइट- www.stayfree.in/talktoyoursons भी लॉन्च किया है ताकि पेरेंट्स यह समझ सकें कि अपने बेटों से पीरियड्स के बारे में कैसे बात करें और उनसे निवेदन किया कि वे अपने बेटों से मासिक धर्म के बारे में बात करने का संकल्प लेंगे। 

(संपादक : यह विज्ञप्ति आपको न्यूज़वॉयर के साथ हुए समझौते के तहत प्रेषित की जा रही है। पीटीआई पर इसका कोई संपादकीय उत्तरदायित्व नहीं है।)